Digital signature :-

एक डिजिटल हस्ताक्षर एक गणितीय तकनीक है ,डिजिटल सिग्नेचर (Digital Signature) किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर का इलेक्ट्रानिक रूप है,इसका इस्तेमाल किसी दस्तावेज को प्रमाणित करने के लिए किया जा सकता है |
जैसे की हम लोग एक पेपर डॉक्यूमेंट पर सिग्नेचर करके उसको वेरीफाई करते हेवैसे ही ऑनलाइन फाइल और डॉक्यूमेंट को वेरीफाई करने के डिजिटल सिग्नेचर की जरुरत पड़ती हैं |
जिसका उपयोग किसी संदेश, सॉफ्टवेयर या डिजिटल दस्तावेज़ की प्रामाणिकता और अखंडता को मान्य करने के लिए किया जाता है। यह हस्तलिखित हस्ताक्षर या मुहर लगी मुहर का डिजिटल समकक्ष है, लेकिन यह कहीं अधिक अंतर्निहित सुरक्षा प्रदान करता है।

डिजिटल सिग्नेचर तीन वर्गो में उपलब्ध है – क्लास 1, क्लास 2 और क्लास 3.
क्लास 1 – ये व्यक्तिगत या निजी उपयोग के लिए जारी किया जाता है. इसका इस्तेमाल कम मूल्य के लेनदेन में होता है. इसमें पहचान के सबूत की जरूरत नहीं.
क्लास 2 – इस डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी संस्थानों में दस्तावेज फाइल करने के लिए किया जाता है. जैसे आयकर विभाग, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय आदि. आयकर रिटर्न के लिए इस सिग्नेचर का ही इस्तेमाल किया जाता है.
क्लास 3 – इसका इस्तेमाल रेलवे, बैंक, सड़क परिवाहन प्राधिकरण, बिजली बोर्ड जैसे सरकारी विभागों ई-नीलामी या ई-टेंडरिंग के लिए किया जाता है.